आज के अनेक आर्थिक एवं सामाजिक विधानों की हम जाँच करें तो पता चलेगा कि वे हमारी सांस्कृ चेतना के क्षीण होने के कारण युगानुकूल परिवर्तन और परिवर्धन की कमी से बनी हुई रूढ़ियाँ परकीर साथ संघर्ष की परिस्थिति से उत्पन्न माँग को पूरा करने के लिए

निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश का संदर्भ देते हुए उसके नीचे अंकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
आज के अनेक आर्थिक एवं सामाजिक विधानों की हम जाँच करें तो पता चलेगा कि वे हमारी सांस्कृ चेतना के क्षीण होने के कारण युगानुकूल परिवर्तन और परिवर्धन की कमी से बनी हुई रूढ़ियाँ, परकीर साथ संघर्ष की परिस्थिति से उत्पन्न माँग को पूरा करने के लिए अपनाये गये उपाय अथवा परकीयों द्वारा गयी या उनका अनुकरण कर स्वीकार की गयी व्यवस्थाएँ मात्र हैं। भारतीय संस्कृति के नाम पर उन्हें रखा जा सकता है।

(क) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए ।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) भारतीय सांस्कृतिक चेतना के कमजोर होते, का मुख्य कारण क्या है ?
(घ) युगानुरूप परिवर्तन एवं विकास नहीं होने का क्या कारण है ?
(ङ) ‘परिस्थिति’ एवं ‘सांस्कृतिक’ शब्दों में क्रमशः उपसर्ग और प्रत्यय छाँटकर लिखिए।

यह भी पढ़ें : निकसि कमंडल तैं उमंडि नभ-मंडल-खंडति । धाई धार अपार वेग सौं वायु विहंडति ।। भयौ घोर अति शब्द धमक सौं त्रिभुवन तरजे । महामेघ मिलि मनहु एक संगहिं सब गरजे ।।

2 thoughts on “आज के अनेक आर्थिक एवं सामाजिक विधानों की हम जाँच करें तो पता चलेगा कि वे हमारी सांस्कृ चेतना के क्षीण होने के कारण युगानुकूल परिवर्तन और परिवर्धन की कमी से बनी हुई रूढ़ियाँ परकीर साथ संघर्ष की परिस्थिति से उत्पन्न माँग को पूरा करने के लिए”

Leave a comment

error: Content is protected !!