अशोक को जो सम्मान कालिदास से मिला, वह अपूर्व था। सुन्दरियों के आसिंजनकारी नूपुर चरणों के मृदु आघात से वह फूलता था, कोमल कैपोलों पर कर्णावतंस के रूप में झूलता था और चंचल् अलकों की अचंचल शोभा को सौ गुना बढ़ा देता देतां था। वह महादेव के मन में क्षोभ पैदा करता था, पुरुषोत्तम के चित्त में सीता का भ्रम पैदा करता था और मनोजन्मा देवता के एक इशारे पर कंधे पर से उठता था
(क) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए ।
(ख) रेखांकित गद्यांश की व्याख्या कीजिए।
(ग) संस्कृत के किस कवि ने अशोक को सम्मानित किया है ?
(घ) अशोक पर फूल आने के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं ?
(ङ) ‘आसिंजनकारी’ तथा ‘कर्णावतंस’ का अर्थ लिखिए ।
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